शहीदे आझम वीर भगतसिंग

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल मे है
देखना है जोर कितना बाजु-ऐ-कातील मे है
शहीद भगतसिंग जयंती (29/09/1907) महेज तेईस वर्ष की आयू – स्वतंत्रता संग्राम मे जान की बाजी लगाकर भारत स्वातंत्र्यपुर्व इतिहास मे देशभक्ती का सर्वोच्च आदर्श बने युवा आयडॉल वीर भगतसिंग। स्वतंत्रता संग्राम मे मातृभुमी की स्वतंत्रता के लिये हँसते हँसते फाँसी पर चढकर अमर हुये महान क्रांतिकारक – शहीद भगतसिंग जयंती के उपलक्ष मे सभी देशवासीयोंको बधाई और उनके कार्य एवं विचारोंको शत शत नमन..!!

भगत सिंह का जन्म २८ सितंबर १९०७ को पंजाब के जिला लायलपुर में बंगा गांव (जो अभी पाकिस्तान में है) के एक देशभक्त सिख परिवार में हुआ था, जिसका अनुकूल प्रभाव उन पर पड़ा था। उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंग और माता का नाम विद्यावतीकौर था। यह एक सिख परिवार था जिसने आर्य समाज के विचार को अपना लिया था। उनके परिवार पर आर्य समाज व महर्षि दयानंद की विचारधारा का गहरा प्रभाव था। भगत सिंह के जन्म के समय उनके पिता सरदार किशनसिंग एवं उनके दो चाचा अजीतसिंग तथा स्वर्णसिंग अंग्रेजों के खिलाफ होने के कारण जेल में बंद थे। जिस दिन भगतसिंग पैदा हुए उनके पिता एवं चाचा को जेल से रिहा किया गया। इस शुभ घड़ी के अवसर पर भगतसिंग के घर में खुशी और भी बढ गई थी।

इस कदर वाकिफ है मेरे जज्बातों से मेरी कलम,
मै इष्क भी लिखना चाहू तो इंन्कलाब लिख देती है।
शहीद भगतसिंगजी के विचार स्पष्ट थे। उनके द्वारा लिखी “मै नास्तिक क्यु हुँ” यह किताब उनके विद्रोही विचारोंकी गवाह है। देश से बडा कोई भी नही – ना व्यक्ती, ना धरम, ना संगठन, यह उनकी आजीवन धारणा रही।

कौन कहता है
अकेले जंग जीती नहीं जाती,
बन के कोई शिव-शंभु
जंग में उतरे तो सही..!!
सिर्फ भारत देश के ही नही, विश्व के तमाम युवाओंके रगो मे दौडनेवाले खुनमे उबाल आता है जब छत्रपती शिवाजी महाराज, छत्रपती संभाजी महाराज, शहीद भगतसिंग जैसे भारतीय महानायकों के नाम का जिकर होता है। उनके महान बलिदान का इतिहास आज भी हमे प्रेरणा देता है। प्रतिकुल परिस्थिती पर मात करने की मानसिकता विकसित करता है।

लिख रहा हूँ मैं अंजाम आज,
जिसका कल आगाज आएगा,
मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा,
मैं रहूँ या न रहूँ मगर वादा है तुमसे ये मेरा,
मेरे बाद वतन पे मिटने वालों का सैलाब आएगा….
वीर भगतसिंग विद्यार्थी परिषद के माध्यम से देश मे शहीद भगतसिंग की जयंती हर्षोल्हास के साथ मनाई जाती है। उनके चरित्र और विचारोंका अभ्यास करने की आवश्यकता है। व्हिबिव्हिपी देशभर के युवाओंका मजबुत संगठन बनाकर हर संकट का मुकाबला करनेके लिये युवाओंको सक्षम बनाने के लिए शक्ती प्राप्त हो यह मिशन लेकर कार्यरत है। जिस चोले को फहेन शिवाजी खेले अपनी जान पे, आज उसी को पहेन के निकला हम मस्तोंका टोला, मेरा रंग दे बसंती चोला…

इंजि. शिवाजीराजे सुनिता भिमराव पाटील
राष्ट्रीय अध्यक्ष – वीर भगतसिंग विद्यार्थी परिषद (व्हिबिव्हिपी)
मास्टर कोच – जवाहरलाल नेहरु लिडरशिप इंन्स्टिट्युट (जेएनएलआय)

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