शिव के प्रतिबिंब ब्रह्मा

 

हम सभी ब्रह्माकुमार व ब्रह्माकुमारियों का जन्म दिव्य और अलौकिक है, जो सारे संसार के लिए अनोखा है, क्योंकि इस ईश्वरीय कुल में जिस प्रकार पढ़ाई द्वारा सहजता से मनुष्यों का जीवन परिवर्तित होता है, वह अनेकों के लिए अविश्वसनीय सा लगता है। ऐसा इसलिए क्योंकि आज समस्त संसार में व्यक्ति के चरित्र विकास हेतु इतने प्रयासों के बाद भी बहुत अच्छे या स्थाई परिणाम प्राप्त नहीं होते।

किंतु ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय में परमपिता परमात्मा शिव ने यह कार्य अि सहजता से पूर्ण कर दिखाया है। उनके निर्देश अनुसार हमारे प्यारे ब्रह्मा बाबा ने भी अति प्रेम से सभी को साथ लेकर, एक परिवार के रूप में एकता की माला में पिरोया है। क्या विश्व का परिवर्तन इतना सहज है? हां, क्योंकि शिव परमात्मा ने जिस मानव द्वारा यह कार्य आरंभ किया, वे संसार में होते हुए भी संसार से अलग थे, अलौकिक थे। वे सांसारिक चित्र में होते हुए भी विचित्र थे। वो थे ‘दादा लेखराज’, जो शिव के नंदी बन संसार के उत्थान के लिए पूर्णतः अपनी मन-बुद्धि, चल-अचल संपत्ति व समस्त परिवार सहित सम्पूर्ण समर्पित हुए।

प्यारे परमपिता शिव परमात्मा ने ब्रह्मा बाबा के द्वारा आसुरी जीवन जीने वाले अनेकानेक मनुष्य को सच्चा सच्चा सात्विक जीवन-शैली वाला ब्राह्मण बना दिया। उन्हें सच्चा, सुंदर, सादगी, तपस्या व सद्गुणों वाला जीवन जीना सिखा दिया। ऐसा जीवन किसी एक व्यक्ति या किसी एक समुदाय की पहचान ना बनकर एक सुंदर, समृद्ध, सुखदाई, विवेकशील व सद्गुणों वाले समाज का निर्माण करता है।

कहते हैं कि संसार से मन को जोड़ने वाला मनुष्य संसारी हो जाता है, मन को बुराइयों से जोड़ने वाला दुराचारी हो जाता है, मन को वैराग्य से जोड़ने वाला सन्यासी हो जाता है और मन को ईश्वर से जोड़ने वाला देवता हो जाता है। लेकिन क्या सच में मन को ईश्वर से जोड़ने वाला देवता बन सकता है? इस बात को सच होता हुआ देखा, जब प्यारे ब्रह्मा

बाबा को देखा। उनके साकार चरित्र, व्यक्तित्व, व्यवहार, वाणी व श्रेष्ठ आचरण वाले जीवन को देखा और शिव पिता परमात्मा से निरंतर शक्ति लेकर पूरे विश्व के लिए उन्हें प्रेरणा स्रोत बनते हुए देखा। ब्रह्मा बाबा से प्रेरणा प्राप्त कर अनेकों जीवन को पल में बदलते देखा ! दु:खों में तड़पते हुए, त्राहि-त्राहि करते हुए मनुष्य को पल में परिवर्तित हो हंसता और खिलखिलाता हुआ जीवन जीते देखा !!

कोई भी मनुष्य इतना बड़ा परिवर्तन किसी के जीवन में तब तक नहीं ला सकता, जब तक कि वह मनुष्य स्वयं के हृदय में उतनी विशालता, निरहंकारिता व निर्मानता ना लिए हुए हो। प्यारे ब्रह्मा बाबा ऐसी मिसाल हैं जिन्होंने संपूर्ण मानव जाति को, सर्व धर्मों के, सभी देशों के, सभी वर्गों के व हर आयु के मनुष्यों को प्रेरित किया सिर्फ अपने जीवन को ऊंचा उठाकर अनेकों के लिए प्रेरणा स्त्रोत तो अनेक मनुष्य बन जाते हैं लेकिन अपने जीवन को ऊंचा उठाकर अनेकों के जीवन को निरंतर ऊंचा उठाने के लिए पितृवत् स्नेह देना व त्याग करना – यह कार्य तो कोई विरला ही कर सकता है। ऐसे मानव इतिहास में अत्यंत दुर्लभ हैं।

माता-पिता अपने बच्चों से कहते हैं- अच्छे से पढ़ो लिखो, बड़ा आदमी बनो। लेकिन हम ब्रह्माकुमार और ब्रह्माकुमारियों के इस सुंदर और बेहद के परिवार में हरेक का सदा एक ही संकल्प है कि अच्छे से पढ़ो लिखो और ब्रह्मा बाप समान बनो। हम सभी ब्रह्मा बाप समान प्यारा, ब्रह्मा बाप समान तपस्वी, ब्रह्मा बाप समान त्यागी, ब्रह्मा बाप समान अचल अडोल, ब्रह्मा बाप समान निर्भय, ब्रह्मा बाप समान श्रेष्ठ आचरण, उनके समान मीठा, गंभीर, रमणीक, सदा सर्व के प्रति शुभ भावना और शुभ कामना संपन्न, सदा परमात्मा शिव के प्रति समर्पण बुद्धि बनें। यही प्यारे ब्रह्मा बाबा को उनके स्मृति दिवस पर हम पूरे ब्राह्मण परिवार की ओर से सच्ची-सच्ची श्रद्धा और प्यार की अंचली है, श्रद्धांजलि है।

 

ब्रह्माकुमारीज कंधार
संचालिका प्र
ब्रह्माकुमारी ज्योती
उपसेवा केंद्र, कंधार

 

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